National Pollution Control Day 2021
राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस
National Pollution Day प्रतिवर्ष 2 दिसंबर को मनाया जाता है। यह दिन 1984 में हुई भोपाल गैस त्राषदी में जान गंवाने वाले लोगो को श्रध्दांजलि देने के लिए मनाया जाता है।
इस दिन प्रदूषण के कारण होने वाली हानियों के प्रति
जागरुक कराता है। इस दिन Pollution
control board शिक्षा
संस्थानों में भी बढ़ते Pollution
के कारण होने वाली समस्या तथा प्रदूषण
नियंत्रण के उपायों के विषय में बच्चों को जागरुक करते है।
प्रदूषण क्या है (What is Pollution)
आज हमारे देश में प्रदूषण की समस्या
सबसे जटिल समस्याओं में से एक है दूषित पदार्थो के कारण प्रकृति में जो समस्या
उत्पन्न होती है उसे प्रदूषण कहते है।
और जब पर्यावरण के सभी घटक वायु, जल, मिट्टी, आदि प्रदूषित होने
लगते है तो वे पर्यावरण प्रदूषण की श्रेणी में आते है। प्रदूषण के कारण केवल मानव
जीवन ही नही बल्कि जीव – जन्तु का जीवन भी संक्ट में है।
प्रदूषण के कारण-
बढ़ती हुई जनसंख्या भारत में पर्यावरण
प्रदूषण का एक प्राथमिक कारण है तेजी से बढ़ती हुई जनसंख्या के कारण आर्थिक विकास,
शहरीकरण के कारण अत्यंत प्रदूषण बढ़ रहा है मनुष्य अपनी जीविका चलाने के लिए वनों
की कटाई कर रहा है
औधोगीकरण में अनियंत्रित वृध्दि , बड़े पैमाने पर औधोगिक
विस्तार तथा तीव्रीकरण तथा जंगलों का नष्ट होना आदि भारत में पर्यावरण संबधी
समस्याओं के प्रमुख कारण है।
प्रदूषण के प्रकार –
प्रदूषण के प्रमुख तीन प्रकार है –
वायु प्रदूषण जल प्रदूषण और भूमि प्रदूषण।
वायु प्रदूषण –(Air Pollution)
जिस हवा में हम साँस लेते है उसमें
सटीक रासायनिक संरचना होता है इसका 90%
हिस्सा नाइट्रोजन, ऑक्सीजन जल वाष्प और सक्रिय गैसों से बना है। वायु प्रदूषण तब
होता है जब इसमें विभिन्न प्रकार की जहरीली गैस जैसे सल्फर डाइ-ऑक्साइड , कार्बन
मोनोऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड आदि गैसे मिल जाती है अत्यधिक वायु प्रदूषण ग्रीन
हाउस गैसों का रुप ले सकता है
जैसे- कार्बन डाइ- ऑक्साइड या सल्फर डाइ – ऑक्साइड ,
जो ग्रीन हाउस प्रभाव के माध्यम से ग्रह को गर्म कर रहे है। 1984 में हुई भोपाल
गैस त्रासदी भी वायु प्रदूषण का ही कारण है जिसमें मिथाइल ,आइसोसाइनेट गैस के
निकलकर वायु में मिलने के कारण लगभग 3000 से अधिक लोगों की मृत्यु हो गई और
200,000 से अधिक लोगों को श्वसन सम्बन्धी बीमारियों का सामना करना पड़ा।
वायु
प्रदूषण के कारण मनुष्य को कई प्राण घातक बीमारियों का सामना करना पड़ रहा है जैसें
हृदय रोग और अस्थमा।
जल प्रदूषण –(Water Pollution)
जब हानिकारक रसायन, मल, कीटनाशक और
कृषि उर्वरक या सीसा, पारा जैसें धातु जल मे मिलते है तो जल प्रदूषित हो जाता है।
प्राकृतिक संसाधनों में प्राणियों के असितत्व के लिए जल सबसे आवश्यक तत्व है, जल
से ही धरती पर जीवन का निर्वहन होता है किन्तु अपने स्वार्थ के लिए मनुष्य निरंतर
जल को प्रदूषित करता जा रहा है।
हानिकारक पदार्थो और सूक्ष्म जीवों ,
रसायनों के मिलने से जल प्रदूषित हो जाता है। इस प्रकार हानिकारक पदार्थो से जल के
भौतिक और रासायनिक गुण प्रभावित होते है, जिसके कारण यह जल घरेलू, औधोगिक कृषि
अथवा अन्य किसी भी सामान्य उपयोग योग्य नहीं रह जाता ।
पीने के अतिरिक्त घरेलू ,
सिंचाई , कृषि कार्य , मवेशियों के उपयोग , औधोगिक तथा व्यावसायिक गतिविधियाँ आदि
में बड़ी मात्रा में जल की खपत होती है तथा उपयोग के उपरान्त यह जल दूषित जल के
रुप में बदल जाता है। जल प्रदूषण का दुष्प्रभाव मनुष्य के स्वास्थ्य पर पड़ता है
वर्तमान समय में मनुष्य को शुद्ध जल प्राप्त करने में अत्यन्त कठिनाईयों का सामना
करना पड़ रहा है।
जिसके कारण मनुष्य अशुद्ध जल का ही सेवन कर लेता है, अशुद्ध जल
में बड़ी मात्रा में कार्बनिक पदार्थ उपस्थित होते है जिससे वे मनुष्य के स्वास्थय
पर प्रभाव डालते है प्रदूषित जल से अनेक
प्रकार रोग होते है। जैसे- पीलिया, पोलियो, हैजा, पायरिया, और पेट सम्बन्धी
बीमारियाँ।
भूमि प्रदूषण- (Soil Pollution)
मृदा में होने वाले प्रदूषण को भूमि
प्रदूषण कहते है। यह मुख्यतः कृषि में अत्यधिक कीटनाशक का उपयोग करने या ऐसे
पदार्थ जो भूमि के लिए हानिकारक है उनके मिट्टी में मिलने पर होता है। जिससे मृदा
की उपज क्षमता में कमी आती है।
उधोगो में रासायनिक या अन्य प्रकार के कचरे होते है
जिसे भूमि पर डालने से भूमि प्रदूषण होता है जिसके कारण उस मिट्टी की उर्वरा शक्ति
नष्ट हो जाती है भूमि प्रदूषण का सीधा प्रभाव वनस्पति पर पड़ता है भूमि प्रदूषण के
कारण पेड़ – पौधे जीवित नहीं रह पाते है।
विषाक्त पदार्थ जो भूमि को दूषित करते है
वे मनुष्य के श्वसन तंत्र के साथ- साथ जानवरों को भी बाधित कर सकते है यह विभिन्न
श्वसन रोगों का कारण भी है जो मानव जाति के लिए घातक साबित हो रहे है।
पहले किसी
भी उर्वरक के उपयोग के बिना मिट्टी बहुत उपजाऊ होती थी लेकिन अब एक साथ सभी
किसानों ने बढ़ती आबादी से भोजन की अत्यधिक मांग के लिए फसल उत्पादन में वृद्धि
हेतु तेजी से उर्वरकों का इस्तेमाल करना शुरु कर दिया है।
कीडों , कीटो , कवक
आदि से फसलों को सुरक्षित करने के क्रम
में मजबूत कार्बनिक या अकार्बनिक कीटनाशकों आदि के विभिन्न प्रकार का अनुचित
अनावश्यक और सतत उपयोग धीरे- धीरे मिट्टी को खराब कर रहा है।
इस प्रकार के रसायन
पौधो के विकास को रोकते है और उनका उत्पादन कम करते है ऐसे Chemical धीरे- धीरे मिट्टी और फिर पौधों के
माध्यम से अंततः जानवरों और मनुष्यों के शरीर तक पहुँच कर खाध श्रृंखला के माध्यम से अवशोषित हो जाते है।
पर्यावरण प्रदूषण को कम करने के उपाय –
पर्यावरण प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए
सर्वप्रथम जनसंख्या वृध्दि पर रोक लगानी होगी, ताकि आवास के लिए वनों की कटाई न हो। प्रदूषण से बचने के उपाय
निम्नलिखित है-
रसायनिक की जगह जैविक खाद का उपयोग
करे।
प्लास्टिक की जगह कागज, पोलिस्टर की
जगह सूती कपड़े या जूट का उपयोग करे।
अधिक से अधिक पेड़ पौधे लगायें।
अधिक धुआँ देने वाले स्वचालितों पर
प्रतिबंध लगा देना चाहिए।
कारखानों के चिमनियों में फिल्टरों का
उपयोग करना चाहिए।
नागरिकों या आम जनता को वायु प्रदूषण
के कुप्रभावों का ज्ञान कराना चाहिए। घरेलू अपमार्जको को आबादी वाले भागों से दूर जलाश्यों में डालना चाहिए ।
उधोगों एवं कारखानों को शहरों या आबादी से दूर स्थापित करना चाहिए ।
शहरों , औधोगिक इकाइयों एवं सड़कों के
किनारे वृक्षारोपण करना चाहिए। ये पौधे भी ध्वनि शोषक का कार्य करके ध्वनि प्रदूषण
को कम करते है।
प्रदूषण वैश्रिक स्तर पर एक गंभीर
समस्या बन चुका है जिसके चलते साफ हवा
में साँस लेना एक कल्पना जैसा लगने लगा है।
प्रदूषण को पूरी तरह से समाप्त करना तो
मानो एक सपने जैसा प्रतीत होता है किन्तु यदि सभी मनुष्य प्रदूषण नियंत्रण को अपना
कर्तव्य समझे तो हम प्रदूषण पर नियंत्रण पा सकते है और अपने स्वास्थ्य को ठीक रख
सकते है तथा शुध्द हवा में चैन की साँस ले सकते है ।
भोपाल गैस त्रासदी 1984–
भारत के मध्य प्रदेश राज्य के भोपाल
शहर में 2 और 3 दिसम्बर 1984 की रात को एक भयानक औद्योगिक दुर्घटना हुई। यह
दुर्घटना मिथाइल आइसोसाइनाइट (MIC) नामक
जहरीली गैसे के रिसाव के कारण हुई। जिसमें लगभग 3787 लोगों ने अपनी जान गवाँ दी।
न
जाने कितने लोग शारिरिक अपंगता का शिकार हो गये। भोपाल गैस त्रासदी दुनिया के
औद्योगिक इतिहास की सबसे बड़ी दुर्घटना है। यूनियन कार्बाइड इंडिया लिमिटेड ( U C I L ) के नाम से भारत में एक कीटनाशक फैक्ट्री खोली थी।
जिससे 2 दिसम्बर
की रात को (MIC) का रिसाव हुआ यह रिसाव मुख्यतः
दोषपूर्ण सिस्टम के कारण हुआ था। इस गैस के कारण लगभग 5,58,125 लोग जख्मी हुए थे
और न जाने कितने लोगो ने अपनी जान गवाँ दी थी।
यह समस्या केवल दुर्घटना के समय तक
ही सीमित नहीं रही बल्कि अब भी वहाँ की जमीन बंजर हो गई है और वहाँ जन्म लेने वाले
बच्चों पर आज भी स्वास्थ्य सबंधी समस्याएं देखने
को मिल रही है।
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